रविवार, 2 अक्टूबर 2022

Today बापू महात्मा गांधी जयंती विशेष :- बिहार के सहरसा जिले के शहर के चांदनी चौक स्थित कोठी में किया था विश्राम

शहर के चांदनी चौक स्थित कोठी में किया था विश्राम

शहर के चांदनी चौक स्थित कोठी में किया था विश्राम
शहर के चांदनी चौक जहां बापू रुके थे।
शहर के चांदनी चौक स्थित कोठी में किया था विश्राम

सहरसा में मिट रही है आजादी की स्मृति

सहरसा में आजादी की स्मृति मिट रही है। इसे संजोकर रखने के लिए ना तो प्रशासन गंभीर है ना ही जनप्रतिनिधि। आजादी के महानायक के कदम रखने वाली जगह हो या अगस्त क्रांति के नायकों की स्मारक स्थली हर जगह उपेक्षित छोड़ रखा गया है या उसमें कोई व्यक्ति रहने लगे हैं।हालत तो यह है कि शहर में कहीं भी बापू की कोई प्रतिमा नहीं है। एक प्रतिमा है वह भी आदमकद जो कि निजी बंद हो चुके स्कूल में है। जिसका लोगों को कोई पता भी नहीं है। इसी प्रकार चांदनी चौक जहां सीने पर गोली खाकर छह देशभक्तों ने शहादत दी थी वह भी आज तक उपेक्षित ही है। आज शहर में बापू की एक प्रतिमा तक नहीं है। 

एक और जहां पूरे देश में स्वतंत्रता मिलने के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा तो वहीं दूसरी ओर शहर के चांदनी चौक स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विश्रामस्थली आजादी के 75 साल बाद भी उपेक्षित है।

गांधीजी वर्ष 1934 में विनाशकारी भूूूकंप से पीड़ति लोगों की सुधि लेने के लिए सहरसा आए थे।उनकी इस यात्रा ने जिले में आजादी के दीवानों में जोश भरने का काम किया था। जब बापू ने भारत छोड़ो आंदोलन का नारा दिया तो 29 अगस्त 1942 को चांदनी चौक समीप नरियार के केदारनाथ तिवारी, चैनपुर के भोला ठाकुर, बलहा के कालेश्वर मंडल, एकाढ़ के धीरो राय तथा बनगांव के पुलकित कामत व हीराकांत झा अंग्रेजों से लड़ाई में शहीद हो गए थे।लेकिन आज स्थिति यह है कि स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रदूत महात्मा गांधी की सहरसा स्थित स्मृति संजोकर नहीं रखी जा रही है। शहर के चांदनी चौक स्थित बापू के विश्रामस्थल को 87 साल बाद भी स्मारक के रूप में बदलने का प्रयास ना तो प्रशासन और ना ही जनप्रतिनिधि कर रहे हैं। जिससे नयी पीढी को पता भी नहीं चल रहा है कि सहरसा की धरती पर कभी राष्ष्ट्रपिता बापू के कदम पड़े थे।

भूकंप पीड़ितों की सुध लेने आए थे बापू वर्ष 1934 ई. में बिहार में प्रलयंकारी भूकंप के बाद गांधीजी पीड़ितों की सुधि लेने सहरसा पहुंचे थे। दरभंगा, मधुबनी, सुपौल का दौरा कर पंचगछिया स्टेट में 40 मिनट रूककर एक सभा को संबोधित करने के बाद सहरसा पहुंचे थे।

चांदनी चौक स्थित अंग्रेज अफसरों के लिए बनी एक कोठी में विश्राम किया। देश की आजादी में जुटे आंदोलनकारियों के साथ बैठक कर रणनीतियों पर चर्चा की। भूकंप पीड़ितों को हर संभव सहायता की बात कहीं थी। जहां आज महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी एक-एक वस्तुओं को करोड़ों रूपये में खरीदकर सहेज कर रखा जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका में उनके प्रवास घर को खरीदकर संग्रहालय का रूप दिया जा रहा है। वहीं अपने ही देश में इस अनमोल विरासत की अनदेखी से कोसीवासी मर्माहत हैं। कुछ वर्ष पूर्व जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने गांधीजी के जन्मदिवस 2 अक्टूबर को विश्व शांति दिवस के रूप में घोषित किया था। उस समय सहरसा के तत्कालीन डीएम नर्मदेश्वर लाल ने चांदनी चौक स्थित इस बंगले की साफ-सफाई व रंगरोगन कार्य कराया था। बंगले के अंदर शिलापट्ट पर बापू के 1934 में यहां ठहरने की बात भी लिखा था। बगल में दीवाल पर टंगी उनकी एक तस्वीर थी।

"हमारा लक्ष्य":-"जीवन में सफल इंसान होने के साथ सफलता " आज की ताजा जानकारी देखें :-

दशम् MATRIC का Result देखने के लिए क्लिक या टच करें:-

 दशम् का Result देखने के लिए क्लिक या टच करें:-                             Link 1 :- 👉 MATRIC/TENTH RESULT               Link 2 :-  👉 M...