पोषण ट्रैकर एप के माध्यम से प्रतिदिन की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जा रही बिहार के 90 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों की एप से हो रही निगरानी
26/09/2022


खर्च का भुगतान केंद्र और राज्य सरकार करती हैं
राज्य में कुल 1 लाख 14 हजार 700 आंगनबाड़ी केंद्र है। पिछले छह माह में दो हजार से अधिक निष्क्रिय आंगनबाड़ी केंद्रों को सक्रिय किया गया है। समेकित बाल विकास परियोजना निदेशालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने राज्य में आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या में वृद्धि के लिए प्रस्ताव भारत सरकार की मंजूरी के लिए भेजा गया था, जिसे अबतक स्वीकृति नहीं मिली है। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पोषक क्षेत्र के अतिरिक्त केंद्र में आने वाले बच्चों, 13 आकांक्षी जिलों में 14-18 साल की किशोरियों को भी पोषाहार का वितरण किया जाता है। पोषाहार के वितरण में होने वाले खर्च का भुगतान केंद्र व राज्य सरकार दोनों मिलकर करती हैं।
● राज्य में 1 लाख 14 हजार हैं आंगनबाड़ी केंद्र
● नए आंगनबाड़ी के लिए केंद्र से नहीं मिली मंजूरी
पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरो। बिहार में पोषण की स्थिति में सुधार करने के लिए 80 फीसदी आंगनबाड़ी केंद्रों की पोषण ट्रैकर एप के माध्यम से निगरानी की जा रही है। इससे संबंधित सूचनाएं व रिपोर्ट समेकित बाल विकास परियोजना निदेशालय में प्राप्त की जा रही है। इसमें धीरे-धीरे और भी सुधार किए जाने की दिशा में भी आंगनबाड़ी कर्मियों को प्रेरित किया जा रहा है। समेकित बाल विकास परियोजना के कार्यपालक निदेशक आलोक कुमार ने बताया कि पोषण ट्रैकर एप के माध्यम से प्रतिदिन प्राप्त होने वाली रिपोर्ट को भारत सरकार भी सीधे देख सकती है। ट्रैकर एप को केंद्र सरकार द्वारा विकसित किया गया है। इससे सभी राज्य जुड़े हुए हैं।
पोषण ट्रैकर एप पर सभी लाभार्थियों के नाम हैं दर्ज आंगनबाड़ी के पोषण क्षेत्र के तहत आने वाले सभी 6 माह से तीन साल तक के बच्चों, गर्भवती एवं धातृ महिलाओं का नाम पोषण ट्रैकर एप पर दर्ज किये जा रहे हैं। लाभुकों के नाम दर्ज करने के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। जानकारी के अनुसार इसके लिए कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत सेविकाओं के राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए मोबाइल के खराब होने के कारण निजी मोबाइल पर एप अपलोड कर काम करना पड़ रहा है। मोबाइल की खराबी के कारण भी कई सेविकाएं समय पर लाभुकों की जानकारी अपलोड नहीं कर