राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के रामलाल के पास हार मानने की हर वजह थी — लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। जब उनके हमउम्र बच्चे एग्ज़ाम की टेंशन में थे, तब रामलाल की शादी हो चुकी थी। जब उन्होंने पढ़ने की इच्छा जताई, तो पिता ने मना कर दिया। लेकिन रामलाल ने खुद से एक वादा किया —
"एक दिन डॉक्टर का कोट पहनूंगा।"
10वीं में 74% लाए, साइंस चुना और NEET की तैयारी शुरू की।
कम संसाधनों में कोटा पहुंचे, पढ़ाई के साथ-साथ पिता की जिम्मेदारी और परिवार का बोझ भी उठाया।
पहले प्रयास में 350 नंबर मिले। लेकिन हिम्मत नहीं हारी — पांचवें प्रयास में 2023 में 632/720 स्कोर कर NEET पास कर लिया।
इस सफर में उनकी पत्नी, जो खुद 10वीं तक पढ़ी हैं, हर कदम पर साथ रहीं — बेटी की परवरिश संभाली, ताकि रामलाल पढ़ सकें।
आज रामलाल MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं। वो एक मिसाल बन चुके हैं — कि हालात चाहे जैसे हों, हौसले उनसे बड़े होने चाहिए।
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