इस तरह रमजान के महीने में 3 अशरे होते हैं. पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों की माफी का होता है और तीसरा अशरा जहन्नम (Hell) की आग से खुद को बचाने के लिए होता है. रमजान के महीने को लेकर पैगंबर मोहम्मद ने कहा है, रमजान की शुरुआत में रहमत है, बीच में मगफिरत यानी माफी है और इसके अंत में जहन्नम (Hell) की आग से बचाव है.
रमजान के शुरुआती 10 दिनों में रोजा-नमाज करने वालों पर अल्लाह की रहमत होती है. रमजान के बीच यानी दूसरे अशरे में मुसलमान अपने गुनाहों से पवित्र हो सकते हैं. वहीं, रमजान के आखिरी यानी तीसरे अशरे में जहन्नम की आग से खुद को बचा सकते हैं.