गांव की तस्वीर बदलेंगे उच्च शिक्षा प्राप्त पंचायत सचिव



● नए में कई पीजी डिग्रीधारी व इंजीनियर भी शामिल
ग्राम पंचायत सचिव के काम
ग्राम पंचायत सचिव ग्राम पंचायत के तमाम प्रस्ताव, विकास कार्यों के प्रस्ताव, रोजाना की गतिविधियों का लेखाजोखा तो रखते ही है साथ ही लिपिकीय कार्यों और धन का लेखा-जोखा रखने का काम भी करते हैं। उन्हें पंचायत कार्यालय का प्रभारी भी कहा जाता है। वह ग्रामीणों के बीच सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार का भी काम करते हैं। मूल रूप पर वह सरकार और ग्राम पंचायत के बीच की कड़ी हैं।
पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरो। राज्य की ग्राम पंचायतों को वर्षों बाद नये पंचायत सचिव मिले हैं। भले ही इस पद के लिए इंटरमीडिएट पास योग्यता रखी गई थी, पर नियुक्त सचिवों में कोई भी स्नातक से कम डिग्रीधारी नहीं हैं। इनमें कई स्नात्कोत्तर तो कुछ इंजीनियर भी हैं। पंचायती राज विभाग इन नये सचिवों की योग्यता और उनके स्मार्टनेस को देखकर उत्साहित है। विभाग को उम्मीद है कि गांवों की तस्वीर बदलने में ये सभी अधिक सहायक होंगे।
विभाग के पदाधिकारी बताते हैं कि पूर्व में नन मैट्रिक भी पंचायत सचिव बनते थे, जो दलपति से प्रोन्नत होकर इस पद पर योगदान देते थे। पर, इस विशेष नियम को वर्ष 2004 में ही स्थगित कर दिया गया है। तब, मैट्रिक इसकी न्यूनतम योग्यता थी। नयी नियमावली में न्यूनतम योग्यता इंटरमीडिएट है। नये सचिव अपनी-अपनी पंचायत में योगदान कर चुके हैं। अब, इन्हें चरणवार एक माह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अधिकतर को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
मालूम हो कि ग्राम पंचायत की योजनाओं के क्रियान्वयन और संचालन में पंचायत सचिव की प्रमुख भूमिका होती है। मुखिया और पंचायत सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से ही योजना की राशि का भुगतान किसी को किया जाता है। ऐसे में उच्च शिक्षा प्राप्त पंचायत सचिवों से विभाग को काफी उम्मीदें हैं। ये सभी कंप्यूटर के भी जानकार हैं। करीब 2800 नये पंचायत सचिवों ने योगदान दिया है।